Monday, December 3, 2018

किसान का खरबूज

स्वामी श्रद्धानंद अपने कुछ शिष्यों और दर्शनार्थ आए भक्तों के साथ बैठे हुए थे। 

भक्त अपने साथ लाए फल-फूल और मिठाइयां आदि स्वामी जी को भेंट कर रहे थे। स्वामी जी हमेशा की तरह फल काटकर उसे प्रसाद के रूप में वहां उपस्थित लोगों को बांट रहे थे। 

तभी एक बुजुर्ग किसान अपने खेत का एक खरबूज लेकर आया। उसने स्वामी जी से उसे खाने का अनुरोध किया। स्वामी जी ने उसका अनुरोध स्वीकार कर खरबूज को काटा और उसकी एक फांक खा ली। 
फिर तो उन्होंने बाकी खरबूज भी एक-एक फांक काट कर पूरा खा लिया। 

उनका यह व्यवहार भक्तों को थोड़ा अटपटा लगा पर वे चुप रहे। पर वह किसान काफी खुश होकर चला गया। उसके जाने के बाद एक भक्त ने पूछा- स्वामी जी, क्षमा करें। एक बात पूछना चाहता हूं। आप तो हर किसी के फल को प्रसाद की तरह बंटवा देते हैं पर आपने उस किसान के खरबूज को प्रसाद की तरह काटकर क्यों नहीं बांटा? 
स्वामी जी बोले- प्रिय भाई, अब क्या बताऊं, वह फल बहुत फीका था। किसी को भी पसंद नहीं आता। अगर मैं इसे भक्तों में बांटता तो मुझे ही अच्छा नहीं लगता और अगर उस किसान भाई के सामने ही इसे फीका कह देता तो उस बेचारे का दिल ही टूट जाता। वह बड़े प्रेम से उसे मेरे पास लाया था। उसके स्नेह का सम्मान करना आवश्यक था। खरबूजे में उसके स्नेह के अद्भुत मधुर रस को मैं अब तक अनुभव कर रहा हूं। 

यह सुनकर सभी भक्त स्वामी जी के प्रति श्रद्धा से भर उठे। 

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